जगप्रभा

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गुरुवार, 15 अगस्त 2013

63. 15 अगस्त 2013





       बचपन से हम देखते आये हैं- हमारे घर की छत पर हरेक 26 जनवरी और 15 अगस्त को तिरंगा फहराया जाता है। "घर" में तिरंगा फहराने का रिवाज यहाँ नहीं है- फिर भी हमारे घर में यह परम्परा चली आ रही है- बिना किसी ताम-झाम, आडम्बर के। सुबह झण्डा फहराया जाता है और सूर्यास्त के समय उसे उतार लिया जाता है।
       पहले पिताजी और चाचाजी फहराते थे, बाद मेरे बड़े भाई और मैं इसे करते थे और अब यह जिम्मेवारी मेरे बेटे और भतीजे पर आयेगी।
       आज पिताजी ने ही झण्डा फहराया। भतीजा और भतीजी स्कूल में थे, सिर्फ मैं और अभिमन्यु ही उपस्थित थे। अभिमन्यु अपने कोचिंग के झण्डोत्तोलन में भाग लेकर आ चुका था। अंशु अरविन्द पाठशाला गयी हुई थी- इसी कार्यक्रम में भाग लेने।
       बात तिरंगा लहराने की थी,,, तो थोड़ी देर के लिए मैंने भारतीय वायु सेना की अपनी वर्दी निकाल कर धारण कर ही ली!
       *** 
पुनश्च: 
बाद में पूछने पर पिताजी ने बताया कि मेरे दादाजी बड़ी श्रद्धा के साथ तिरंगा फहराया करते थे... तब से यह परम्परा चली आ रही है.
जिक्र करना चाहिए था- मेरे छोटे भाई बबलू (अंशुमान) तथा मेरे भांजे ओमू (अनिमेष) ने भी तिरंगा फहराने की जिम्मेवारी निभायी है. 


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